संजय गुप्ता, INDORE. ओल्ड पलासिया का आठ हजार वर्गफीट से ज्यादा एरिया का प्लॉट इस पर छोटा बंगला बना है। कीमत 20 करोड़ रुपए से ज्यादा की। यह वही प्लॉट है जिसे लेकर क्राइम ब्रांच टीआई धनेंद्र सिंह भदौरिया की शिकायत जंबू भंडारी और उनके बेटे श्रेयांस भंडारी ने पहले सांसद शंकर लालवानी और फिर पुलिस कमिश्नर को की। इसके बाद सीएम ने उन्हें वसूलीबाज टीआई बताते हुए निलंबित करने के आदेश दिए।
केयर टेकर संजीव दुबे के नाम कर दिया प्लॉट
9/3 ओल्ड पलासिया का यह प्लॉट नवरतनमल बोर्डिया का है, उनके 1998 में निधन के बाद यह उनकी पत्नी स्नेहलता बोर्डिया का हो गया। उनका भी कुछ साल पहले निधन हो चुका है। जब वह 95 साल की थी। उन्होंने अपनी संपत्ति को लेकर तीन बार वसीयत की, एक वसीयत में उन्होंने अपनी संपत्ति पश्चिम बंगाल में रामकृष्ण मिशन बेलूर मठ के नाम कर दी। लेकिन मई 2015 में उन्होंने अपने यहां दस सालों से काम कर रहे केयर टेकर संजीव दुबे के काम से खुश होकर इस वसीयत को रद्द कर दूसरी वसीयत की। इसमें दुबे को बेटे समान बताते हुए संपत्ति उसके नाम पर रजिस्टर्ड कर दी। इसका एक वीडियो भी उस समय बना, जो अब सामने आया है।
दुबे ने इसी प्लॉट को लेकर कई लोगों से कर लिए सौदे
संपत्ति अपने नाम होने के बाद दुबे ने इसका सौदा कई लोगों से कर लिया, इसमें बीजेपी से जुड़े भी कुछ लोग थे। एक और कारोबारी से भी सौदा किया और उससे लाखों रुपए बयाना भी ले लिया। प्लॉट के सौदा होने की बात सामने आने पर जंबू भंडारी ने भी एक वसीयत पेशकर इस प्लॉट का अपना दावा किया (हालांकि बोर्डिया ने दुबे के नाम लिखी वसीयत में कहा है कि मेरा और मेरे पति का कोई कानूनी वारिस और उत्तराधिकारी नहीं है)। वहीं बिना कानूनी उत्तराधिकारी वाले इस इस कीमती प्लॉट को लेकर कई भूमाफिया की भी नजर गई और दुबे को अपने साथ जोड़ा। इसी को लेकर सभी के बीच करीब 4 सालों से यह रस्साकशी चल रही है।
वसीयत होते ही बदली दुबे की नीयत
बताया जाता है कि वसीयत होने के बाद ही दुबे की नियत बदल गई और उसने बैंक में रखी नगदी आदि को भी निकालना शुरू कर दिया, यह बात बोर्डिया को पता चली तो उन्होंने इस वसीयत को रद्द करने की तैयारी कर ली थी। जंबू भी बोर्डिया के संपर्क में था, बताया जाता है इसी दौरान प्लॉट की वसीयत उनके नाम पर रजिस्टर्ड होने की तैयारी हो रही थी, लेकिन इसी दौरान बोर्डिया मैडम का निधन हो गया। टीआई के सस्पेंड होने के बाद से ही दुबे का फोन बंद आ रहा है और वहीं जंबू इस मामले में बात करने के लिए तैयार नहीं है, उनका कहना है कि मैं पुलिस को सब बता चुका हूं।
संपत्ति सरकारी होना चाहिए
नियमों के अनुसार कोई संपत्ति बिना वसीयत के छूट जाती है तो वह शासकीय रूप में दर्ज हो सकती है। इस मामले में जिला प्रशासन दखल दे सकता है। हालांकि यह प्लॉट अभी स्वामित्व के विवाद में हैं और ऐसी स्थिति में इसका फैसला कोर्ट ही दे सकता है और कोर्ट पाता है कि वसीयत उचित नहीं है और कोई कानूनी वारिस नहीं है तो फिर यह संपत्ति शासकीय रूप में ट्रांसफर हो सकती है।